लेखनी कविता - यह नर्म नर्म हवा झिलमिला रहे हैं चिराग़ - फ़िराक़ गोरखपुरी

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यह नर्म नर्म हवा झिलमिला रहे हैं चिराग़ / फ़िराक़ गोरखपुरी यह नर्म नर्म हवा झिलमिला रहे हैं चिराग़ तेरे ख़्याल की खुश्बू से बस रहे हैं दिमाग़ दिलों को तेरे ...

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